Monday 30 July 2012

जिंदगी अश्को की किताब है..........

जब छोटा था , तब एक नाम सुना था जिंदगी ........
आज तक उसको ही सोच रहा हूँ ...की मैं क्यों सोच रहा हूँ...............
लोग कहते हैं की ... जिंदगी एक हसी ख्वाब है ..
मगर मैंने इसको जीकर देखा तो लगा ....की ......
जिंदगी अश्को की किताब है ...
जो जब चाहे . इन आँखों से बरसात करा सकती है ...
लेकिन उसका भी एक अलग ही आनंद हैं  ..
जिसमे सिर्फ दर्द ही दर्द झलकता हैं ....
खुशियाँ तो सभी के हिस्से में आ जाती है ..मगर ..
दर्द किस्मत वालो को ही मिलता है ....
और जाते जाते यूँ जिंदगी से कुछ पूछना चाहता हूँ ....की ....
 
इस तन्हाई में ,उदासी के कोई गीत तो गाये !
बहुत सह चुके , इस दर्द को कोई तो समझाए !!
मुझे मुस्कान के बदले , मिली अश्को की सोगाते !
ऐ ''हमसफर'' आकर जरा बता मुझको ......
इस जिंदगी को अब कैसे जिया जाये !!
 
प्रस्तुतकर्ता :- पी के शर्मा   

Wednesday 25 July 2012

कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं

कभी नज़रें मिलाने में ज़माने बीत जाते हैं,
कभी नज़रें चुराने में ज़माने बीत जाते हैं,

किसी ने आँख भी खोली तो सोने की नगरी में,
किसी को घर बनाने में ज़माने बीत जाते हैं,

कभी काली स्याह रातें भी पल पल की लगती हैं,
कभी सूरज को आने में ज़माने बीत जाते हैं,

कभी खोला घर का दरवाजा तो मंजिल सामने थी,
कभी मंजिल को पाने में ज़माने बीत जाते हैं,

चंद लम्हों में टूट जाते हैं उम्र भर के वो बंधन,
वो बंधन जो बनाने में ज़माने बीत जाते हैं....!!!!