सोता है जब रात में ये सारा शहर
तब आता है मिलने मुझे मेरा हमसफ़र
मेरे हमसफ़र की ये बात है सवाली
मेरी हर बात को वो बताता है निराली
मैं चलता हूँ चाहे कैसी भी हो डगर
क्योंकि मेरे साथ रहता है मेरा हमसफ़र
तन्हाई को महफ़िल में करता है मगर
फिर मेरे साथ पलके भिगोता है मगर
मेरे अश्को को आँखों में संजोता है मगर
तब मुझे याद आता है मेरा हमसफ़र
सोता है जब रात में ये सारा शहर
तब आता है मिलने मुझे मेरा हमसफ़र
No comments:
Post a Comment