Monday 29 October 2012

बस, लाज रख लेना मेरे प्यार की......

सोचता हूँ आज लिख ही दूं !
वो सब, जो नही कह पाया !!
तुमसे ...
मगर कहना चाहता हूँ !
मैं तुझमे रहना चाहता हूँ !!
मैं तुझसे दूर रहकर ....
सोच के सागर की गहराइयों में बहकर ...
तन्हाई भरी आहों में....
कुछ ख्वाबो की बाहों में...
तुझको और सिर्फ तुझको..
निरंतर लिखता गया ...
मगर आज भी ये आलम है ...
की ये आँखें प्यासी है तेरे दीदार की...
चाहत है एक झलक दिख जाये मेरे यार की...
मुझे , मेरी ख्वाहिश की परवाह नही...
बस, लाज रख लेना मेरे प्यार की......
 
पी के ''तनहा''  

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