Monday, 31 October 2011

जब जब मैंने कलम उठाई .....

तुम पर कुछ लिखने की खातिर 
जब जब मैंने कलम उठाई 

आई याद तुम्हारी मुझको 
और आँख भी मेरी भर आई 
मैंने तुमको कितना चाहा
और पल पल मैंने वफा निभाई 

तुम पर कुछ लिखने की खातिर 
जब जब मैंने कलम उठाई 

सोचा तू मुझको समझेगी 
किस्मत मेरी भी चमकेगी 
पर तुने मुझको न पहचाना 
भरी महफ़िल में की रुसवाई 

तुम पर कुछ लिखने की खातिर 
जब जब मैंने कलम उठाई 

तेरे लिए सपने भी टूटे 
तेरे लिए अपने भी छूटे 
सोचा था बजेगी एक दिन 
मेरे घर भी सहनाई

तुम पर कुछ लिखने की खातिर 
जब जब मैंने कलम उठाई 

दुनिया से मैं जाऊंगा जिसदिन 
पल पल याद आऊंगा उस दिन 
हर पल तेरे साथ रहेगी 
बस मेरी ही परछाई 

तुम पर कुछ लिखने की खातिर 
जब जब मैंने कलम उठाई 

Sunday, 30 October 2011

जिंदगी आज कुछ फीकी सी है ........


जिंदगी आज कुछ फीकी सी है 
आज किस्मत कुछ रूठी सी है
माना सारा कसूर मेरा ही है,,,
फिर वो क्यों इतनी दुखी सी है 

वो , जिसने सबकुछ लुटा दिया 
वक़्त ने भी उसको पल पल दगा दिया 
वो जो कभी हंसती थी , मुझे देखकर 
वो भी आज कुछ टूटी सी है ,,,,,

और आज जब, चाहने लगा हूँ उसको 
पूरी जिंदगी गम दिए हैं जिसको 
पंछियों ने भी चेहचाहना छोड़ दिया था 
और वर्षो बाद कोयल आज कूकी सी है 

Saturday, 22 October 2011

                    हैप्पी दीपावली .... 




 
                                                                                                                         आप सभी को दीपावली की हार्दिक शुभकामनाये 
 
 

Saturday, 15 October 2011

ये शर्मा जी भी जाने क्या क्या लिख जाते है ....

मैं ही नहीं बताता, ये सभी बताते है 
की जिंदगी में ऐसे पल भी आते है 
हमारे अपने ही हमें रुलाते है 

कभी लहरें ही डूबा देती है कश्ती को 
तो कभी तूफ़ान भी साहिल बन जाते है ,

कभी हँसाता था मैं लोगो को 
और आज मेरे ही सामने ,
लोग मुझपर हंस जाते है,,,

हालाँकि ये मुमकिन नहीं 
इस ज़माने के दौर में 
मगर गर तुम चाहो तो 
कभी कभी सपने भी सच हो जाते है 
 
जब मैं लिखता हूँ ....
कोई कुछ नहीं कहता 
पर लिखने के बाद ,कहते है 
की ये शर्मा जी भी जाने क्या क्या लिख जाते है 

Tuesday, 11 October 2011

तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया, जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया


तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया 

वो भी दिन थे , कभी मैकदे में 
हमारी शामे रंगीन हुआ करती थी 
झलकाया करती थी तुम जाम दर जाम 
फिर खाली आज क्यों ये जाम कर दिया 

तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया 

याद है मुझको आज भी ,वो 
काली सुबह, वो भयानक तूफ़ान 
मगर वो भी इस पी के को हरा नही पाया  
मगर तुमने आज मेरा काम तमाम कर दिया 

तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया 

मैं ऐसा था नहीं पहले , मुझे तुमने है बदला 
नहीं सोचा था मैंने , होगा ये भी कभी 
नहीं लिखा मैंने ता-उम्र कुछ भी , 
मगर आज तुमने लिखने का मेरे इंतजाम कर दिया 

तुमने ये ऐलान सरेआम कर दिया
जज्बात को मेरे नीलाम कर दिया  

Saturday, 1 October 2011

मिट चली उनकी सब निशानी ..

मिट चली उनकी सब निशानी 
बनकर फिर ,आज एक कहानी 

उनको इतना प्यार किया था 
उसने भी बड़ा प्यार दिया था 
आज याद उनको करते करते 
आँखों में जब आ गया पानी 

मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी 

इस दुनिया में जैसा सुना था 
हमने भी इक सपना बुना था 
सब कुछ लुटा बैठे है .......
आई ऐसे वक़्त ए रवानी 

मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी 

अब जी कर हम क्या करेंगे 
सोचा अब हम भी मरेंगे 
दे दिया घर भार भी दान 
दुनिया वाले कहने लगे दानी 

मिट चली उनकी सब निशानी
बनकर फिर ,आज एक कहानी