जिंदगी आज कुछ फीकी सी है
आज किस्मत कुछ रूठी सी हैमाना सारा कसूर मेरा ही है,,,
फिर वो क्यों इतनी दुखी सी है
वो , जिसने सबकुछ लुटा दिया
वक़्त ने भी उसको पल पल दगा दिया
वो जो कभी हंसती थी , मुझे देखकर
वो भी आज कुछ टूटी सी है ,,,,,
और आज जब, चाहने लगा हूँ उसको
पूरी जिंदगी गम दिए हैं जिसको
पंछियों ने भी चेहचाहना छोड़ दिया था
और वर्षो बाद कोयल आज कूकी सी है
सुन्दर भावमयी रचना...
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