Friday, 30 December 2011

फिर किसलिए है ये इंतज़ार ....

एक बार बता जा मेरे यार !
क्या तुझको भी है मुझसे प्यार !!

गर है तुझको भी मुझसे प्यार !
फिर किसलिए है ये इंतज़ार !!

भवर बीच है कश्ती मेरी !
और उस पार है बस्ती तेरी !!
तू देख रहा है साहिल से !
कब कश्ती होगी मेरी पार !!

गर है तुझको भी मुझसे प्यार !
फिर किसलिए है ये इंतज़ार !!

कुछ याद है मुझको वो सपने ! 
कुछ साथ थे मेरे भी अपने !!
वो ख्वाब टूटे , और आप भी छूटे !
इश्क का चढ़ा है जबसे खुमार !!

गर है तुझको भी मुझसे प्यार !
फिर किसलिए है ये इंतज़ार !! 



Wednesday, 21 December 2011

कहीं ये अश्क ही ना बन जाये ग़ज़ल ..

यू तो हंसती है मेरी आँखें हरपल !
कहीं ये अश्क ही ना बन जाये ग़ज़ल !!

तुम भी कुछ बोलो , चुप क्यों हो !
इस मुश्किल का कोई , निकालो हल !!  

राह चलते में साथ , होगा काफिला !
क्या करोगे ,तन्हाई जब होगी कल !!

रश्क ना कर, तुझको भी मंजिल मिलेगी !
यूं ही नहीं मिलता , मेहनत का भी फल !!

मैं जानता हूँ, कुछ रूठे से है वो मुझसे ! 
मना रहा हूँ , शायद मान जायेंगे कल  !!

यू तो हंसती है मेरी आँखें हरपल !
कहीं ये अश्क ही ना बन जाये ग़ज़ल !!