Friday, 30 December 2011

फिर किसलिए है ये इंतज़ार ....

एक बार बता जा मेरे यार !
क्या तुझको भी है मुझसे प्यार !!

गर है तुझको भी मुझसे प्यार !
फिर किसलिए है ये इंतज़ार !!

भवर बीच है कश्ती मेरी !
और उस पार है बस्ती तेरी !!
तू देख रहा है साहिल से !
कब कश्ती होगी मेरी पार !!

गर है तुझको भी मुझसे प्यार !
फिर किसलिए है ये इंतज़ार !!

कुछ याद है मुझको वो सपने ! 
कुछ साथ थे मेरे भी अपने !!
वो ख्वाब टूटे , और आप भी छूटे !
इश्क का चढ़ा है जबसे खुमार !!

गर है तुझको भी मुझसे प्यार !
फिर किसलिए है ये इंतज़ार !! 



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