Wednesday, 21 December 2011

कहीं ये अश्क ही ना बन जाये ग़ज़ल ..

यू तो हंसती है मेरी आँखें हरपल !
कहीं ये अश्क ही ना बन जाये ग़ज़ल !!

तुम भी कुछ बोलो , चुप क्यों हो !
इस मुश्किल का कोई , निकालो हल !!  

राह चलते में साथ , होगा काफिला !
क्या करोगे ,तन्हाई जब होगी कल !!

रश्क ना कर, तुझको भी मंजिल मिलेगी !
यूं ही नहीं मिलता , मेहनत का भी फल !!

मैं जानता हूँ, कुछ रूठे से है वो मुझसे ! 
मना रहा हूँ , शायद मान जायेंगे कल  !!

यू तो हंसती है मेरी आँखें हरपल !
कहीं ये अश्क ही ना बन जाये ग़ज़ल !!

1 comment:

  1. यू तो हंसती है मेरी आँखें हरपल !
    कहीं ये अश्क ही ना बन जाये ग़ज़ल !!...बहुत खूब..लाजवाब..

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