Tuesday, 8 February 2011

हर इक आँसू की होती, कोई ना कोई कहानी है


सुना करते थे कि आँसू तो
होते अपनेपन की निशानी है।
हर इक आँसू की होती  
कोई ना कोई कहानी है  
बदलने की आदत में दिल के
रिश्ते भी बदलते जाते हैं ।
जिसको अपना समझते हैं
उसी से धोखा खा जाते हैं
किसी की याद में रोना
हो चला अब तो बेमानी है
खुशी किसी की सुनकर अब
हर इक आँसू की होती  
कोई ना कोई कहानी है  
आसूँ नही छलकते आँखों से ।
गले न मिलते बरसों के बिछडे
बस हाथ मिलाते हाथों से
आसूँ अब नही रहे मोती
ये बेबस नमक का पानी है

हर इक आँसू की होती  
कोई ना कोई कहानी है  

महफ़िल में यार आया हूँ

मैं चाहतों की तेरी, महफ़िल में यार आया हूँ
उम्मीदें ज़िन्दगी से, मांगकर उधार लाया हूँ
नहीं देखा मैंने हँसता हुआ कोई चेहरा कभी
तेरी मुस्कुराहट पे करने जाँ-निसार आया हूँ

चांदनी खूब फिर खिलेगी शबनमी सी रातों में
यूँ ही हंस दे गर ज़रा तू अजनबी की बातों पे
हसरतें इतनी सी बस खुशियाँ मिलें तुझे सारी
रख कर पलकों पर यही ख्वाब हज़ार आया हूँ

मैं हूँ इक बंजारा और शहर - शहर भटकता हूँ
अक्स मासूम सभी दिल में बसा कर रखता हूँ
कहाँ मिलते हैं अब यहाँ प्यारे ऐसे सच्चे चेहरे
शायद ज़न्नत के किसी कूचे - बाज़ार आया हूँ

ग़मों के झरने ना बहें...कभी तुम्हारी आँखों से
दर्द के मन्ज़र ना सजें....कभी तुम्हारी राहों में
जहाँ से गुज़रो तुम गुलाबों की हों बरसातें वहाँ
इक अजनबी हूँ मगर, लेकर मैं प्यार आया हूँ

पी के शर्मा

है बात अलग ये कोई क्‍या क्‍या कमाता है,
कोई दाम कमाता और कोई नाम कमाता है ;
आराम किसे नसीब है इस दुनिया में यारों,
कोई हंसके बिताता, कोई रोके बिताता है ;
हैं दर्द बहुत यूं तो हर सीने में लेकिन ,
कोई खुद से छिपाता, कोई सबको बताता है ;
उस शख्‍स का तो यारों अंदाज जुदा है कुछ,
वो दिल की तपिश को भी आंसू से बुझाता है;
कोई काम नहीं उसको ये सच है मगर लेकिन,
वो सुबह का निकला, घर रात को आता है;
जीने की तमन्‍ना में हम रोज ही मरते हैं,
कहीं सौदा इज्‍ज्‍त का, कोई आन गवांता है;
बदलेंगी नहीं रोकर ये हाथों की रेखाएं ,
अनमोल घड़ी तू फिर क्‍यों यूं ही गवांता है.
ले दे के फ़क़त मैंने बस इतना कमाया है,
प्रशांत अंधेरों को खुद जल के भगाता है ;

Tuesday, 1 February 2011

बन फूल वहीं बस जाना तुम ।

फुरसत से घर में आना तुम
और आके फिर ना जाना तुम ।

मन तितली बनकर डोल रहा
बन फूल वहीं बस जाना तुम ।

अधरों में अब है प्यास जगी
बनके झरना बह जाना तुम ।

बेरंग हुए इन हाथों में
बनके मेंहदी रच जाना तुम ।

नैनों में है जो सूनापन
बन के काज़ल सज जाना तुम।

फूलों से यूँ ही, खिला कीजिए।

यूँ ही रोज हमसे, मिला कीजिए
फूलों से यूँ ही, खिला कीजिए।

करते हैं तुमसे, मोहब्बत सनम
इसका कभी तो, सिला दीजिए।

कब से हैं प्यासे, तुम्हारे लिए
नज़रों से अब तो, पिला दीजिए।

पत्थर हुए हम, तेरी याद में
छूकर हमें अब, जिला दीजिए।

हो जाये कोई खता जो अगर
हमसे न कोई, गिला कीजिए।

ख़त्म पर फिर तो जिंदगानी है

जिसकी आँखों में सिर्फ पानी है
वो ग़ज़ल आपको सुनानी है

अश्क कैसे गिरा दूँ पलकों से
मेरे महबूब की निशानी है
 
लब पे वो बात ला नहीं पाए
जो कि हर हाल में बतानी है

 कहीं आंसू कहीं तबस्सुम है
कुछ हकीकत है कुछ कहानी है

हमने लिखा नहीं किताबों में
अपना जो भी है मुंह ज़बानी है

कर दी आसान मुश्किलें सारी
मौत भी किस क़दर सुहानी है

आज तो बोल दे 'PK' सब कुछ
ख़त्म पर फिर तो जिंदगानी है

आंसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर

गुज़रो न बस क़रीब से ख़याल की तरह
आ जाओ जिंदगी में नए साल की तरह

कब तक तने रहोगे यूँ ही पेड़ की तरह
झुक कर गले मिलो कभी तो डाल की तरह

आंसू छलक पड़ें न फिर किसी की बात पर
लग जाओ मेरी आँख से रूमाल की तरह

ग़म ने निभाया जैसे आप भी निभाइए
मत साथ छोड़ जाओ अच्छे हाल की तरह

बैठो भी अब ज़हन में सीधी बात की तरह
उठते हो बार बार क्यों सवाल की तरह

अचरज करूँ "किरण" मैं जिसको देख उम्र-भर
हो जाओ जिंदगी में उस कमाल की तरह

अँधेरे वक्त में भी गीत गाये जायेंगे...

प्यार जब जिस्म की चीखों में दफ़न हो जाये ,
ओढ़नी इस तरह उलझे कि कफ़न हो जाये ,

घर के एहसास जब बाजार की शर्तो में ढले ,
अजनबी लोग जब हमराह बन के साथ चले ,

लबों से आसमां तक सबकी दुआ चुक जाये ,
भीड़ का शोर जब कानो के पास रुक जाये ,

सितम की मारी हुई वक्त की इन आँखों में ,
नमी हो लाख मगर फिर भी मुस्कुराएंगे ,

अँधेरे वक्त में भी गीत गाये जायेंगे...

लोग कहते रहें इस रात की सुबह ही नहीं ,
कह दे सूरज कि रौशनी का तजुर्बा ही नहीं ,

वो लडाई को भले आर पार ले जाएँ ,
लोहा ले जाएँ वो लोहे की धार ले जाएँ ,
जिसकी चोखट से तराजू तक हो उन पर गिरवी
उस अदालत में हमें बार बार ले जाएँ

हम अगर गुनगुना भी देंगे तो वो सब के सब
हम को कागज पे हरा के भी हार जायेंगे
अँधेरे वक्त में भी गीत गाये जायेंगे...

एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.

जिसकी धुन पर दुनिया नाचे, दिल ऐसा इकतारा है,
जो हमको भी प्यारा है और, जो तुमको भी प्यारा है.
झूम रही है सारी दुनिया, जबकि हमारे गीतों पर,
तब कहती हो प्यार हुआ है, क्या अहसान तुम्हारा है.

जो धरती से अम्बर जोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
जो शीशे से पत्थर तोड़े , उसका नाम मोहब्बत है ,
कतरा कतरा सागर तक तो ,जाती है हर उम्र मगर ,
बहता दरिया वापस मोड़े , उसका नाम मोहब्बत है .

पनाहों में जो आया हो, तो उस पर वार क्या करना ?
जो दिल हारा हुआ हो, उस पे फिर अधिकार क्या करना ?
मुहब्बत का मज़ा तो डूबने की कशमकश में हैं,
जो हो मालूम गहराई, तो दरिया पार क्या करना ?

बस्ती बस्ती घोर उदासी पर्वत पर्वत खालीपन,
मन हीरा बेमोल बिक गया घिस घिस रीता तनचंदन,
इस धरती से उस अम्बर तक दो ही चीज़ गज़ब की है,
एक तो तेरा भोलापन है एक मेरा दीवानापन.

तुम्हारे पास हूँ लेकिन जो दूरी है समझता हूँ,
तुम्हारे बिन मेरी हस्ती अधूरी है समझता हूँ,
तुम्हे मै भूल जाऊँगा ये मुमकिन है नही लेकिन,
तुम्ही को भूलना सबसे ज़रूरी है समझता हूँ

बहुत बिखरा बहुत टूटा थपेड़े सह नहीं पाया,
हवाओं के इशारों पर मगर मैं बह नहीं पाया,
अधूरा अनसुना ही रह गया यूं प्यार का किस्सा,
कभी तुम सुन नहीं पायी, कभी मैं कह नहीं पाया

जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा

मैं तो झोंका हूँ हवा का उड़ा ले जाऊँगा
जागती रहना तुझे तुझसे चुरा ले जाऊँगा

हो के कदमों पे निछावर फूल ने बुत से कहा
ख़ाक में मिल के भी मैं खुश्बू बचा ले जाऊँगा

कौन सी शै मुझको पहुँचाएगी तेरे शहर तक
ये पता तो तब चलेगा जब पता ले जाऊँगा

कोशिशें मुझको मिटाने की भले हों कामयाब
मिटते-मिटते भी मैं मिटने का मजा ले जाऊँगा

शोहरतें जिनकी वजह से दोस्त दुश्मन हो गये
सब यह रह जायेंगी मैं साथ क्या ले जाऊँगा

निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !

कुछ छोटे सपनो के बदले ,
बड़ी नींद का सौदा करने ,
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !
वही प्यास के अनगढ़ मोती ,
वही धूप की सुर्ख कहानी ,
वही आंख में घुटकर मरती ,
आंसू की खुद्दार जवानी ,
हार जीत तय करती है वे , आज कौन से घर ठहरेंगे .
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे !

कुछ पलकों में बंद चांदनी ,
कुछ होठों में कैद तराने ,
मंजिल के गुमनाम भरोसे ,
सपनो के लाचार बहाने ,
उन के भी दुर्दम्य इरादे , वीणा के स्वर पर ठहरेंगे .
निकल पडे हैं पांव अभागे ,जाने कौन डगर ठहरेंगे