Tuesday, 22 March 2011

यादें आती रही मगर बंद मैखाना हुआ

तुझसे मिले एक ज़माना हुआ 
मैखाने जाने का बहाना हुआ
जाम जब साकी ने पिलाया अपने हाथो से 
एक मुद्दत बाद मेरा होश में आना हुआ
शीशे में देखा एक अजनबी था सामने 
तेरे इश्क में कैसा मैं खुद से बेगाना हुआ
ज़िक्र फिर तेरा आया, जब चला दौर ए जाम 
लूटना फिर सुरु मेरे अश्कों का खज़ाना हुआ
सोचा तेरे याद को पि जाऊं जाम में घोल कर 
यादें आती रही मगर बंद मैखाना हुआ  

No comments:

Post a Comment