जब से तुम बिछुडे।
तेरे मेरे मिलने का वो साल पुराना बीत गया।
जबसे तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया॥
एक नदी थी, एक था पीपल;
एक घना था, एक थी निर्मल।
लहरों से छैंया तक का वो दौड़ लगाना बीत गया॥
जब से तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया...
एक थी बरखा, एक था बादल;
एक घना था, एक थी निर्मल।
सावन की छम छम बूंदों में धूम मचाना बीत गया॥
जब से तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया...
एक हवा थी, एक था जंगल;
एक घना था, एक थी निर्मल।
पंख पसारे पत्तों के संग उड़ उड़ जाना बीत गया॥
जब से तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया...
तेरे मेरे मिलने का वो साल पुराना बीत गया।
जबसे तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया॥
एक नदी थी, एक था पीपल;
एक घना था, एक थी निर्मल।
लहरों से छैंया तक का वो दौड़ लगाना बीत गया॥
जब से तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया...
एक थी बरखा, एक था बादल;
एक घना था, एक थी निर्मल।
सावन की छम छम बूंदों में धूम मचाना बीत गया॥
जब से तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया...
एक हवा थी, एक था जंगल;
एक घना था, एक थी निर्मल।
पंख पसारे पत्तों के संग उड़ उड़ जाना बीत गया॥
जब से तुम बिछुडे हो प्रीतम, एक ज़माना बीत गया...
No comments:
Post a Comment