हंसती आंखों में भी गम पलते हैं पर कौन जाए इतनी गहराई में।
अश्कों से ही समंदर भर जाएंगे बैठो तो जरा तन्हाई में।।
अश्कों से ही समंदर भर जाएंगे बैठो तो जरा तन्हाई में।।
जिंदगी चार दिन की है इसे हंस कर जी लो।
क्या रखा है आखिर जमीन ओ जात की लडाई में।।
क्या रखा है आखिर जमीन ओ जात की लडाई में।।
तुमसे मिलने की चाहत हमे कहां कहां न ले गई।
वफा का हर रंग देख लिया हमने तेरी जुदाई में।।
वफा का हर रंग देख लिया हमने तेरी जुदाई में।।
जिस सुकून के लिए भटकता रहा दर दर Prashant
या खुदा वो छुप कर बैठी रही कहीं तेरी खुदाई में।।
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