अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
उसकी खातिर लड़ा बहुत हालात से
जो खेल गयी मुझसे और मेरे जज्बात से
जिसने दिए मुझे दर्द -ओ- गम तमाम
उसी बेवफा को आज मैं माफ़ करता हूँ
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
सुना है , अब वो भी याद करने लगी है
इस दीवाने पर जाँ निसार करने लगी है
शायद मुह्हबत मेरी रंग लाएगी एक दिन
उसी दिन का मैं इंतज़ार करता हूँ ........
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
जिस पल वो पास मेरे आएगी
मेरी दुनिया और हसीं हो जाएगी
कहेगी वो भी, की प्यार है मुझे तुमसे
जिसको मैं जाँ से ज्यादा प्यार करता हूँ
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ