Wednesday 31 August 2011

अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ

एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ 
 
उसकी खातिर लड़ा बहुत हालात से
जो खेल गयी मुझसे और मेरे जज्बात से
जिसने दिए मुझे दर्द -ओ- गम तमाम 
उसी बेवफा को आज मैं माफ़ करता हूँ   
 
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ 
 
सुना है , अब वो भी याद करने लगी है
इस दीवाने पर जाँ निसार करने लगी है
शायद मुह्हबत मेरी रंग लाएगी एक दिन
उसी दिन का मैं इंतज़ार करता हूँ ........
 
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ 
 
जिस पल वो पास मेरे आएगी
मेरी दुनिया और हसीं हो जाएगी
कहेगी वो भी, की प्यार है मुझे तुमसे
जिसको मैं जाँ से ज्यादा प्यार करता हूँ
 
एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ 

5 comments:

  1. एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
    अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
    दिल को छू गए आपकी रचना के भाव ... बहुत अच्छी और भावपूर्ण रचना...

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  2. जिस पल वो पास मेरे आएगी
    मेरी दुनिया और हसीं हो जाएगी
    कहेगी वो भी, की प्यार है मुझे तुमसे
    जिसको मैं जाँ से ज्यादा प्यार करता हूँ
    P.K.SHARMA JI AAPNE APNE MAN KE BHAVON KO BAHUT HI KHOOBSURATI SE VYAKT KIYA HAI.MERE PAS SHABD NAHI HAIN INKEE SARAHNA KE LIYE.BAHUT SUNDAR.

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  3. सबसे पहले आपको गणेश उत्सव की हार्दिक शुभकामनायें!!

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  4. एक गुनाह मैं बार-बार करता हूँ
    अक्सर तन्हाई में उसको याद करता हूँ
    सुन्दर रचना पढ़वाने के लिए आभार!

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  5. बहुत ही प्रभावशाली कविता.....

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