ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
कोई हँसता है ,तो कोई रोता है
मुझे जिंदगी के इस मोड़ पर देखकर
उन्हें नहीं पता शायद ,मुझे यहाँ आने में
कितनी सदीयाँ कितने ज़माने लगे है
ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
कोई हँसता है मेरे ही सामने मुझ पर
कहता है कोई, धिक्कार है तुझ पर
वो जो मुझ पर कभी जाँ निसार करते थे
आज वो ही मुझको सताने लगे है
ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
यहाँ पैसे को बढ़ता देखकर
यहाँ प्यार को मरता देखकर
पंछी भी यहाँ आने से
अब कतराने लगे है
ऐसे हालात अब आने लगे है
मेरे अपने मुझे रुलाने लगे है
बहुत खूबसूरत कविता हैँ ।
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