Monday, 28 November 2011

जिंदगी ....

जिंदगी को महसूस कर रहा था मैं
जिस पल तू मेरे पास थी ....
यू तो तूफा आते गये जिंदगी में मेरी 
पर फिर भी जीने की एक आस थी  !

बीच मझधार में छोड़ा था मेरी कश्ती को 
तुमसे नहीं थी उम्मीद , ,,,,,,,
उजड़ा ही छोड़ गये मेरी बस्ती को 
मौत नहीं आई थी तब तक ,
बाकि अभी कुछ साँस थी ....

जिंदगी को महसूस कर रहा था मैं
जिस पल तू मेरे पास थी ....
यू तो तूफा आते गये जिंदगी में मेरी 
पर फिर भी जीने की एक आस थी  !

जिंदगी मेरी वीरान हो गयी 
मुझको जिंदा देख तू हैरान हो गयी 
मैं तुझसे वफा निभाता गया उम्र भर 
और तू बेवफा सरेआम हो गयी 
देखि थी उस रोज़ जो तुने वो लाशे 
वो मेरी नहीं मेरे साये की लाश थी 

जिंदगी को महसूस कर रहा था मैं
जिस पल तू मेरे पास थी ....
यू तो तूफा आते गये जिंदगी में मेरी 
पर फिर भी जीने की एक आस थी  !

Saturday, 26 November 2011

तेरे साथ दो पल जिंदगी,,,,


तेरे साथ दो पल जिंदगी 
बिताने का अरमान था ,,

मैंने तुझको समझा था अपना 
देखा था तेरे साथ एक सपना 
वो सपना मेरा टूट गया 
साथ भी तेरा छुट गया 

जिंदगी भर मैं तुझ पर करता रहा ऐतबार 
लुटाता रहा तुझ पर बस प्यार ही प्यार 
बदनाम हुआ मैं इस तेरे शहर में 
एक तुने मुझे ना समझा यार  

एक बार जो तुने समझा होता 
जो हुआ आज , वो ना होता 
कोई लाश पे मेरी ना रोता 
और इतनी कम उम्र में ये हादसा 
मेरे साथ  ना हुआ होता 

अब हुआ जो, मेरे यार हुआ 
नीलाम जो मेरा प्यार हुआ 
कसम है तुझको , मत रोना 
इन आँखों को अश्को से ना धोना 

अब बताना चाहूँगा ,जो हुआ मेरा सम्मान था 
तेरे शहर में जो हुआ मेरा अपमान था ,
दो पल साथ गर तेरा मिल जाता 
यही मेरे जीने का फरमान था 

तेरे साथ दो पल जिंदगी 
बिताने का अरमान था 

Saturday, 12 November 2011

आज वो हमको छोड़ गये ..........

जिसके लिए सबको छोड़ा 
आज वो हमको छोड़ गये 

हमने की वफा उम्रभर 
वो दिल हमारा तोड़ गये

माना कसूर हमारा था 
पर इतना तो बतलाना था 
बीच मझधार में मेरी 
कसती को डूबता छोड़ गये 

कितनी हसी थी जिंदगी मेरी 
तू ही तो थी जिंदगी मेरी 
क्यों मेरी जिंदगी को 
अन्जान डगर पर मोड़ गये 

जिसके लिए सबको छोड़ा 
आज वो हमको छोड़ गये 

हमने की वफा उम्रभर 
वो दिल हमारा तोड़ गये

Saturday, 5 November 2011


मरता हूँ मैं पल पल
मगर तुमको इससे क्या 
कर बैठा तुमसे प्यार 
मगर तुमको इससे क्या
तेरे प्यार मैं हम हुए बदनाम 
मगर तुमको इससे क्या
लुट गया , मैं सहर ओ शाम,   
मगर तुमको इससे क्या
दुनिया से जा रहा हूँ, तेरी खातिर
मगर तुमको इससे क्या
तेरे प्यार की है ये सजा
रहेगी उम्र भर , तेरी इल्त्जां
मालुम है मुझे तेरा इनकार
पर करता रहूँगा,फिर भी प्यार
मगर तुमको इससे क्या

Wednesday, 2 November 2011

मरती है जब इंसानियत ......


मिलता हूँ मैं जब तुमसे 
एक अजीब एहसास होता है 

कुछ कह नहीं पाता हूँ 
जब तू पास होता है 

यूं तो मिलते है हजारो रोज़ 
मगर कोई एक उनमे खास होता है 

यूं तो मरता है इंसान लाखो बार जिंदगी में 
पर मरती है जब इंसानियत 
तो वो एक जिंदा लाश होता है 

रिशते वोही रंग लाते है 
जिनमे एक विश्वास होता है 

मिलता हूँ जब मैं तुमसे 
एक अजीब एहसास होता है