जिसके लिए सबको छोड़ा
आज वो हमको छोड़ गये
हमने की वफा उम्रभर
वो दिल हमारा तोड़ गये
माना कसूर हमारा था
पर इतना तो बतलाना था
बीच मझधार में मेरी
कसती को डूबता छोड़ गये
कितनी हसी थी जिंदगी मेरी
तू ही तो थी जिंदगी मेरी
क्यों मेरी जिंदगी को
अन्जान डगर पर मोड़ गये
जिसके लिए सबको छोड़ा
आज वो हमको छोड़ गये
हमने की वफा उम्रभर
वो दिल हमारा तोड़ गये
सुन्दर भावपूर्ण रचना..
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