Wednesday, 2 November 2011

मरती है जब इंसानियत ......


मिलता हूँ मैं जब तुमसे 
एक अजीब एहसास होता है 

कुछ कह नहीं पाता हूँ 
जब तू पास होता है 

यूं तो मिलते है हजारो रोज़ 
मगर कोई एक उनमे खास होता है 

यूं तो मरता है इंसान लाखो बार जिंदगी में 
पर मरती है जब इंसानियत 
तो वो एक जिंदा लाश होता है 

रिशते वोही रंग लाते है 
जिनमे एक विश्वास होता है 

मिलता हूँ जब मैं तुमसे 
एक अजीब एहसास होता है 

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