Thursday, 29 September 2011

कभी हंसती है ये आँखें , तो कभी भर आती है

कभी कभी जब हमको 
उनकी याद आती है 
हँसते  हुए भी हो तो भी 
ये आँखें भर आती है 
हमने कई बार कहा है उनसे 
की हमे यूँ ना सताया करो 
पर पता नही उन्हें क्या मजा आता है 
जो हमको इतना सताती है 
सता हमको कितना भी ले वो 
लेकिन गर ये सुनले 
की यादो में उनकी हमने 
खाना नहीं खाया है 
तो वो जब तक हमको न खिला ले 
वो खुद भी नहीं खाती है 
वो प्यार से डांट कर हमको 
अपने हाथों से खाना खिलाती है 
और आँखों में आँखें ऐसे मिलती है 
कभी हंसती है ये आँखें , तो कभी भर आती है 

Tuesday, 27 September 2011

कभी मेरी ख़ामोशी को सुनना ....

मेरी जिंदगी एक ख़ामोशी है  
कभी मेरी ख़ामोशी को सुनना 

ये जो ख्वाब है शीशे की तरह होते है 
मेरी तरह कभी , सपने ना बुनना 

सपने भी टूट जाते है ,अपने भी रूठ जाते है 
मेरी तरह कोई हमसफ़र मत चुनना 

ये देते है आवाज़ बड़ी मासूमियत से 
और लुटते है तुम्हे और तुम्हारे जज्बात को 

थी मेरी जिंदगी भी एक खुशरंग कहानी 
और अब बचा है ,तो सिर्फ एक आँखों में पानी 

रोकेंगे तुम्हे ,बहुत तररकी के रास्ते पे जाने से 
कोई देगा कसम , तो बुलाएगा कोई बहाने से 

मगर ,गर बढ़ना है आगे ,तो बातो में  ना लुभना
कोई अपना भी बुलाये तुम्हे , मगर ना रुकना 

मेरी जिंदगी एक ख़ामोशी है  
कभी मेरी ख़ामोशी को सुनना 

Saturday, 24 September 2011

यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे आँखों में अश्क भर आये मेरे ..

यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे 
आँखों में अश्क भर आये मेरे 

याद करता हूँ आज भी वो पल 
जो बिताये  थे,मैंने  तेरे साथ 
याद है मुझको आज भी वो शाम 
जब होती थी हमारी मुलाकात 
रोते हुए भी , हंस देता हूँ 
आते है याद जब , तेरी बाहों के घेरे 

यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे 
आँखों में अश्क भर आये मेरे 

यूं तो लिखता हूँ , हर सह मैं तुझे 
मगर याद मैं तेरी लिखी वो पहली नज्म 
और हुए थे जुदा जब हम दोनों 
हुई थी आँखें दोनों की नम
खेलते थे बचपन मैं , हम दोनों 
याद है मुझको वो तम्बू , वो डेरे 

यूं उदासी देखकर चेहरे पर तेरे 
आँखों में अश्क भर आये मेरे 

Tuesday, 20 September 2011

मेरे मन की हसरत थी........ तेरी आँखों में बस जाने की

मेरे  मन की हसरत थी 
तेरी आँखों में बस जाने की 

एक तेरे दीदार की खातिर 
क्या क्या नहीं किया मैंने  
उस सुंदर सी मुस्कान पर तेरी 
आदत हो गयी मुझे भी शर्माने की 

मेरे  मन की हसरत थी 
तेरी आँखों में बस जाने की 

नींद नहीं आती थी मुझको 
देख न लू जब तक तुझको 
कट गयी जिंदगी इंतज़ार में तेरे 
पर अभी आशा है तेरे आने की 

मेरे  मन की हसरत थी 
तेरी आँखों में बस जाने की 

तुम प्यार करो या ना भी करो 
मुझको इसका गिला नही 
बस एक बार आकर ,पूरी करदो 
तम्मना इस दीवाने की 

मेरे  मन की हसरत थी 
तेरी आँखों में बस जाने की 

बिन तेरे बेरंग है महफ़िल 
आकर करदो इसको झिलमिल 
शंमा बनकर जला जाओ 
इस परवाने को आदत है जल जाने की 

मेरे  मन की हसरत थी 
तेरी आँखों में बस जाने की 

Monday, 19 September 2011

देखा है मैंने , मिटते हुए अपनी हस्ती को

देखा है मैंने ,
मिटते हुए अपनी हस्ती को
 
वो कुछ दरिन्दे थे , शायद 
जिन्होंने मिटाया मेरी हस्ती को 
नहीं मालुम मुझे क्या थी मेरी खता 
इतनी बड़ी दी जो उन्होंने मुझको सजा 
वो जो आशियाना था मेरा 
कर दिया आग के हवाले 
मेरे ही सामने जला दिया मेरी बस्ती को .

अब आपसे क्या कहूँ 
देखा है मैंने ,
मिटते हुए अपनी हस्ती को ....

वो आशियाना सामने, मेरे जलकर राख हो गया 
वो मंजिल ,वो सपने,सब खाख हो गया 
लोग भी बहुत आये थे, मुझको सांत्वना देने 
कुछ बनकर आये इन्सां,कुछ अपना उधार लेने 
सब कुछ तो ठीक था , इस जिंदगी मैं मेरी 
मगर एक ही सैलाब ने ..
हिलाकर रख दिया मेरी कश्ती  को ....

और पल भर मैं ,मिटा कर रख दिया 
मेरे ही सामने ......
मेरी ही हस्ती को 

Friday, 16 September 2011

टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन

टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन 
मेरी तरह एक हमसफ़र तू भी चुन 

एक ख्वाब जो मैंने भी देखा था 
जो पल भर मैं ही टूट गया !
मैं देखता रहा हाथों की लकीरे 
नसीब हाथों से मेरे फिसलता रहा 
अब टूट गए वो सपने मेरे 
अब छुट गये वो अपने मेरे 
किस्मत की कहानी क्या बताऊ तुमको 
एक छोटा सा मशवरा देता हूँ तुमको 
न मेरी तरह कभी तू सपने बुन 

टूटे हुए ख्वाबो की दास्ताँ मुझसे सुन 
मेरी तरह एक हमसफ़र तू भी चुन 

Wednesday, 14 September 2011

मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..


मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से 
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..
मानता हूँ मैं ,हुई है मुझसे खता 
मेरी खता की ,इतनी बड़ी न दो सजा 
मांग रहा हूँ माफ़ी कब से .....
अब कर भी तुम माफ़ तो दो 

मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से 
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..

तुमसे दूर होकर ,हम सोना ही भूल गए 
और मिले जब बिछड़ कर तुमसे 
रोना तो चाहा,मगर रोना ही भूल गए 
अब इस मिलने की ख़ुशी में ...
हाथों में मेरे तुम जाम तो दो ...

मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से 
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..

कब से निहार रहा हूँ तुझको मेरे हमसफर 
चल चले हम दोनों ,प्यार की डगर 
वो कब से छुपा कर बैठे हो 
अब खोल भी वो तुम राज़ तो दो 

मैं सुना रहा हूँ तुमको कब से 
मेरी कविताओ पर तुम दाद तो दो ..

एक बात सुनोगे गर..... सुन सको तो कह लूँ


एक बात सुनोगे गर 
सुन सको तो कह लूँ 
ज़ख्म जो तुने दिए 
बता उनको कैसे सह लूँ 

आँखों में देख जरा तू 
अश्क अश्क ही है इनमे 
है जिंदगी मेरी तुझसे 
तेरे बिन कैसे रह लूँ 

ये अश्क जो अब हो चले है 
समुन्दर से भी गहरे 
सोचता हों अब मैं भी 
साथ इनके ही बह लूँ  

अब तन्हाई भी साथ नहीं देती 
काश .. तुम एक बार हंस देती 
कहना चाहता हूँ आज भी .. वो ही 
रुकोगे एक पल जरा 
सूनने को दास्ताँ ..इस दीवाने की 
गर सुन सको तो कह लूँ  

Tuesday, 13 September 2011

तो पढना कभी मेरी उदासी को ...............

पढना चाहते हो मुझे गर 
तो पढना कभी मेरी उदासी को 
समझना चाहते हो मुझे गर 
तो समझना मेरे जज्बातों को 
मिलना चाहते हो मुझसे गर 
तो मिलना मेरी तन्हाइयो से 
बाटना चाहते हो गर दर्द मेरा 
तो बाटना मेरी रुसवाइयो को 
तुम मुझे समझ जाओगे उसी दिन 
दिन भी नहीं कटेगा तुम्हारा मेरे बिन 
ये सच है हूँ मैं कुछ भी नहीं 
लेकिन तुम्हे पाकर खुश हूँ मैं 
क्योंकि तुम फिर मिलोगे एक दिन यही 
रहेगा मुझे उस दिन का इंतजार 
होगा जिस दिन मेरे प्यार का इज़हार 
जो भाग रहा है पैसे की अंधी दोड़ में 
वो भी बस यही कहेगा ,प्यार ,....प्यार..प्यार .....

Saturday, 10 September 2011

जब आँख लगी तो ख्वाबो में तुम चली आई ......


आज फिर तेरी वो बाते याद आई 
जिन्होंने हलचल मेरे दिल विच मचाई |

वो आपका चेहरा आज फिर 
मुस्कुरा कर सामने मेरे आ गया 
दिल में मेरे एहसास हुआ ऐसा 
जैसे कोई भूचाल आ गया 
फिर ले गया मन तेरी यादों की कोठरी में 
और याद जब तुझको किया तो आँखें भर आई 

आज फिर तेरी वो बाते याद आई 
जिन्होंने हलचल मेरे दिल विच मचाई |

वो पल आज भी याद है मुझे 
इन आँखों ने देखा था जिस दिन तुझे 
देखते ही तुझको मैं सिहर उठा 
मेरा पागल दिल भी पिघल उठा 
उस रात मुझको नीद भी नहीं आई 
और जब आँख लगी तो ख्वाबो में तुम चली आई 

आज फिर तेरी वो बाते याद आई 
जिन्होंने हलचल मेरे दिल विच मचाई |

ना तुम मुझको जान सके 
ना हम तुम को पहचान सके 
मालूम नहीं मुझे मगर लोग कहते है 
की रोया था बादल भी उस रात 
हुई जिस दिन तेरी मेरी विदाई 

आज फिर तेरी वो बाते याद आई 
जिन्होंने हलचल मेरे दिल विच मचाई |


 
 



Friday, 9 September 2011

मेरी ख्वाबो की दुनिया .......... अब सवरने लगी है |

मेरी ख्वाबो की दुनिया 
अब सवरने लगी है |
थी जिसको नफरत मुझसे 
वो भी मुझपर मरने लगी है 

मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |

कसूर मेरा ही था की 
वो मुझसे रूठे रहे उम्र भर 
उनके रूठने से मिले जो ज़ख्म 
उनको वो ही अब भरने लगी है 

मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |

यूँ तो की कोशिश बहुत की 
हमने उन्हें मानाने की .....
जिनको नफरत थी चेहरे से हमारे 
देखकर वो भी हमको हंसने लगी है 

मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |

उस भगवन के उपकार से 
हूँ मैं आज उस मुकाम पर 
की लोग सलाह लेते है मुझसे 
दुनिया जिनकी बिखरने लगी है 

मेरी ख्वाबो की दुनिया
अब सवरने लगी है |

Monday, 5 September 2011

इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला

इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला 
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला 

याद आता है वो पल आज भी 
डूबी थी कश्ती मेरी जिस दिन 
थामा तो हाथ बहुतो ने था मेरा 
मगर फिर भी किनारा नहीं मिला 

इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला 
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला 

माना उस तूफ़ान में लाखों बेघर हुए थे 
फिर कुछ आये भी थे सांत्वना देने के लिए 
जिंदगी तो मिल मुझे भी मिल जाती ........
मगर क्या करू साथ जब तुम्हारा नहीं मिला 

इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला 
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला 

तुम्हारी इस बेरुखी को मैं क्या नाम देता 
अपने साये को क्यों मैं बदनाम कर देता 
मुझे अफ़सोस है आज भी इस बात का 
वो ख़त आपको हमारा नहीं मिला 

इस डूबी हुई कश्ती को सहारा नहीं मिला 
अपने तो बहुत मिले ,कोई हमारा नहीं मिला 

Saturday, 3 September 2011

इस कविता को अब मैं क्या नाम दूं ......

चला चल मैं यू ही चला जा रहा था 
अतीत पर अपने मैं पछता रहा था 
चला जा रहा था मैं मंजिल को पाने 
कुछ रूठे हुए अपनों को मनाने.........
अचानक ही झटका दिया जिंदगी ने 
जमी पर पटका दिया जिंदगी ने 
मैं हैरान था , कुछ परेशान था 
फिर मैंने वहां कुछ था ऐसा देखा 
सवारने लगी मेरे हाथो की रेखा 
निकला था मैं जिस मंजिल को पाने 
लगी वो धीरे धीरे मेरे पास आने 
फिर मुझको एक आवाज़ आई 
चारो तरफ से दी जो सुनाई
वो आवाजे कुछ यूं बताती है 
की पतझड़ के बाद ,बहारे आती है 
 लगे जब भी ह्रदय तुम्हारा घबराना 
तुम सीधे चले मेरे पास आना 
पता है तुमको ,हूँ मैं गरीब 
पर जैसा भी हूँ , हूँ तुम्हारा नसीब 
इस कविता को अब मैं क्या नाम दूं 
सोचता हूँ , कलम को यहीं विराम दूं. 


Friday, 2 September 2011

क्यों भर आई आज ये आँखें .........

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे 
  
प्यार किया था जिससे हमने
था बड़ा मासूम वो चेहरा
खबर लगी दुनिया को इसकी
लगा दिया हम पर पहरा
हमारी खातिर जिसने भैया
कुरबां कर दी अपनी सांसे

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे  

अब एक दुआ है मेरी रब से
देना प्यार उसी का मुझको
पल पल जिसको याद हूँ करता
पल पल करता जिसकी बाते

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे  

हम दोनों का क्या था कसूर
किया हमको क्यों मजबूर
उम्र ही क्या थी उसकी अभी
जिसकी रह गयी सिर्फ यादे

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे 
  
अब हम भी चाहते है जाना
हमराही का प्यार है पाना
मेरी एक कविता पर
दी थी जिसने इतनी दादे

क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे   

Thursday, 1 September 2011

आँखों में मेरी कुछ नमी सी है..........

आज आँखों में मेरी कुछ नमी सी है
है तो सब कुछ मेरे पास, मगर  
फिर भी न जाने कुछ कमी सी है    
 
तुमने मुझको जीना सिखाया 
गिरकर फिर संभलना सिखाया
 और आज ,हाल ये है मेरा की
तेरे लौट आने के इंतजार में
सांसे मेरी अभी थमी सी है
 
आज आँखों में मेरी कुछ नमी सी है
है तो सब कुछ मेरे पास, मगर  
फिर भी न जाने कुछ कमी सी है   
 
बसे भी ना थे , की घर उजड़ गए 
अभी संभले ही थे, की पैर उखड गए
एक उम्मीद की शमा बाकी है अभी
कहीं उजड़ ना जाये फिर से
ये मेरी दुनिया अभी बसी सी है
 
आज आँखों में मेरी कुछ नमी सी है
है तो सब कुछ मेरे पास, मगर  
फिर भी न जाने कुछ कमी सी है