एक बात सुनोगे गर
सुन सको तो कह लूँ
ज़ख्म जो तुने दिए बता उनको कैसे सह लूँ
आँखों में देख जरा तू
अश्क अश्क ही है इनमे
है जिंदगी मेरी तुझसे
तेरे बिन कैसे रह लूँ
ये अश्क जो अब हो चले है
समुन्दर से भी गहरे
सोचता हों अब मैं भी
साथ इनके ही बह लूँ
अब तन्हाई भी साथ नहीं देती
काश .. तुम एक बार हंस देती
कहना चाहता हूँ आज भी .. वो ही
रुकोगे एक पल जरा
सूनने को दास्ताँ ..इस दीवाने की
गर सुन सको तो कह लूँ
भावमयी सुन्दर अभिव्यक्ति.....
ReplyDeleteवाह ...बेहतरीन प्रस्तुति
ReplyDeleteप्रेम के एहसास में डूबी बहुत ही शानदार अभिब्यक्ति /बहुत बधाई आपको /
ReplyDeleteमेरी नई पोस्ट पर आपका स्वागत है /जरुर आइये /
www.prernaargal.blogspot.com
आपकी पोस्ट ब्लोगर्स मीट वीकली (९) के मंच पर प्रस्तुत की गई है आप आइये और अपने विचारों से हमें अवगत कराइये/आप हमेशा अच्छी अच्छी रचनाएँ लिखतें रहें यही कामना है /
ReplyDeleteआप ब्लोगर्स मीट वीकली के मंच पर सादर आमंत्रित हैं /