Thursday 29 September 2011

कभी हंसती है ये आँखें , तो कभी भर आती है

कभी कभी जब हमको 
उनकी याद आती है 
हँसते  हुए भी हो तो भी 
ये आँखें भर आती है 
हमने कई बार कहा है उनसे 
की हमे यूँ ना सताया करो 
पर पता नही उन्हें क्या मजा आता है 
जो हमको इतना सताती है 
सता हमको कितना भी ले वो 
लेकिन गर ये सुनले 
की यादो में उनकी हमने 
खाना नहीं खाया है 
तो वो जब तक हमको न खिला ले 
वो खुद भी नहीं खाती है 
वो प्यार से डांट कर हमको 
अपने हाथों से खाना खिलाती है 
और आँखों में आँखें ऐसे मिलती है 
कभी हंसती है ये आँखें , तो कभी भर आती है 

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