हम भी है भई कितने अभागे
प्यार किया था जिससे हमने
था बड़ा मासूम वो चेहरा
खबर लगी दुनिया को इसकी
लगा दिया हम पर पहरा
हमारी खातिर जिसने भैया
कुरबां कर दी अपनी सांसे
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
देना प्यार उसी का मुझको
पल पल जिसको याद हूँ करता
पल पल करता जिसकी बाते
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
हम दोनों का क्या था कसूर
किया हमको क्यों मजबूर
उम्र ही क्या थी उसकी अभी
जिसकी रह गयी सिर्फ यादे
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
अब हम भी चाहते है जाना
हमराही का प्यार है पाना
मेरी एक कविता पर
दी थी जिसने इतनी दादे
क्यों भर आई आज ये आँखें
हम भी है भई कितने अभागे
क्यों भर आई आज ये आँखें
ReplyDeleteहम भी है भई कितने अभागे
bahut bhavpoorn abhivyakti.badhai
vah vah keya baat hai
ReplyDeletebahut hi sundaar
बढ़िया....
ReplyDeleteगहरे भाव और अभिव्यक्ति के साथ शानदार रचना ! उम्दा प्रस्तुती !
ReplyDeleteआपको एवं आपके परिवार को गणेश चतुर्थी की हार्दिक शुभकामनायें!
मेरे नए पोस्ट पर आपका स्वागत है-
http://seawave-babli.blogspot.com/
http://ek-jhalak-urmi-ki-kavitayen.blogspot.com/
हर शब्द बहुत कुछ कहता हुआ, बेहतरीन अभिव्यक्ति के लिये बधाई के साथ शुभकामनायें ।
ReplyDeleteखूबसूरती से मन के भाव लिखे हैं
ReplyDeleteगहरे भावो का सुन्दर चित्रण्।
ReplyDeleteदुःख से ओत- प्रोत , सच - मुच कुछ लोग ऐसे क्यों चले जाते है ! सुन्दर
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